8th Pay Commission Update: सरकारी कर्मचारियों के वेतन का आधार अब बदल जाएगा क्योंकि आठवें वेतन आयोग से संबंधित कर्मचारी यूनियनों ने एक आहम मांग की है जिसमें न्यूनतम वेतन को तय करते समय मोबाइल रिचार्ज, इंटरनेट डाटा और वाई-फाई जैसे डिजिटल खर्च को भी शामिल किया जाएगा उन्होंने कहा है कि आज के समय में डिजिटल सेवाओं के माध्यम से ही सभी कार्यों को किया जाता है इसको अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।
डिजिटल खर्च भी दे सरकार
यूनियनों द्वारा दलील दी गई है कि रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा डिजिटल खर्च भी आज के समय में आवश्यक हो गया है कर्मचारी संगठनों ने आयोग को सुझाव भेजकर यह मांग की है आज के समय में सरकारी दफ्तरों से लेकर घर के सब काम मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से किए जाते हैं यहां तक की सरकारी एप्स, ऑनलाइन फॉर्म, डिजिटल पेमेंट, ई ऑफिस जैसे कार्यों के लिए डाटा और फोन को अनिवार्य कर दिया गया है लेकिन यूनियनों ने दावा किया है कि डिजिटल भारत के दौर में मोबाइल डाटा पैक और इंटरनेट को भी बुनियादी जरूरत की लिस्ट में शामिल किया जाना आवश्यक है नया प्रस्ताव परिवार की जरूरत के आधार पर सैलरी तय हो राष्ट्रीय परिषद जेसीएम ने सुझाव दिया है कि वेतन तय करते समय इस पर जरूर विचार किया जाएगा।
इससे पहले वेतन में यह चीजें थी शामिल
अब तक के न्यूनतम वेतन की गणना में भोजन और कपड़े के अलावा मकान को शामिल किया गया था इसके साथ ही बिजली पानी और बच्चों की शिक्षा के लिए भी न्यूनतम वेतन की गणना में शामिल किया जाता था।
7वें वेतन आयोग से यह है अलग
सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन ₹18,000 तक तय किया जाता था यह 1957 के पुराने भारतीय श्रम सम्मेलन के फार्मूले पर आधारित किया गया था जिसमें डिजिटल खर्चों का उल्लेख नहीं हुआ था क्योंकि उस समय मोबाइल और इंटरनेट की आम जरूरत नहीं थी लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है अब ऑनलाइन क्लासेज के साथ डिजिटल पेमेंट और सरकारी ऐप के माध्यम से इसका उपयोग किया जा रहा है अब दफ्तरों के सारे काम स्मार्टफोन के माध्यम से किए जाते हैं जिसमें मोबाइल और इंटरनेट को दैनिक रूप से उपयोग में किया जाता है यूनियन का कहना है कि इन खर्चों को शामिल किया जाना चाहिए जिससे न्यूनतम सैलरी में बड़ा इजाफा हो जाएगा।
8वें वेतन आयोग में सैलरी पर पड़ेगा बड़ा असर
अगर 8वें पर वेतन आयोग में डिजिटल सेवाओं को जोड़ा गया तो जानकारी के अनुसार न्यूनतम वेतन में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की संभावना है फिटमेंट फैक्टर भी बढ़ जाएगा जिससे बेसिक और कुल सैलरी दोनों पर एक बड़ा असर पड़ेगा इसकी विस्तृत रिपोर्ट की जानकारी 2026-27 में मिल पाएगी कर्मचारी इस समय उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार आयोग आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इस नई गणना प्रणाली बना सकता है।
वर्तमान में एक वयस्क की आवश्यकता
आज की दैनिक जीवन में कर्मचारियों को पति-पत्नी और बच्चों के परिवार के खर्च के लिए सैलरी मिलती रहे जिसमें रोजाना के खर्चे, त्योहार और सामाजिक अवसर पर खर्च होने वाले हिसाब को जोड़ा जाए उसके अलावा रोज की जरूरत जैसे मोबाइल बिल, इंटरनेट सब्सक्रिप्शन डाटा पैक जैसी डिजिटल सेवाओं की लागत भी शामिल की जाए क्योंकि यह सभी आज की वास्तविक जीवन की लागत का हिस्सा है इसे नजर अंदाज करना गलत होगा।